खेल है ज़िन्दगी इक तुम्हारे लिए,
जेल है उम्र भर की हमारे लिए,
अहमियत दोस्तों की तुम्हें कुछ नहीं,
मेल है आत्मा का हमारे लिए,
तुमको क्या है ख़बर , कौन मिट बैठा है,
कौन क्या है यहाँ पर हमारे
लिए,
न ही समझे हो तुम, न समझ
पाओगे,
किसको भेजा ख़ुदा ने हमारे
लिए,
आज आओ चलो, हम करें फ़ैसला,
तुम हो “संजीव” के या हमारे
लिए......
बेहतरीन अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएं