ख़यालों की मेरी दुनिया, मेरे ख़्वाबों की वो जन्नत,
जहां हसरत न हो कोई, जहां अरमां न हो कोई,
मयस्सर हो जहां सब कुछ सुकूं से ज़िन्दा रहने को,
न हो ग़ुरबत, न हो मजलूम,जहां मुफ़लिस न हो कोई,
जहां दिल सबसे मिलता हो, किसी से न अदावत हो,
जहां इक फूल हो हर हाथ में, पत्थर न हो कोई,
जहाँ वो साथ हों मेरे , मैं हूँ जिनकी दुआओं में,
वफ़ा ऎसी निबाहें हम , निभा पाया न हो कोई,
जहां उन गेसुओं की छांव में, बीते उमर सारी,
जहां रौशन तारीक़ी है, जहां सुबहा न हो कोई,
तुम्हीं "संजीव" गफ़लत में किया करते हो ये बातें,
कोई अहमक, कोई मासूम, यूं नादाँ न हो कोई......
जहां हसरत न हो कोई, जहां अरमां न हो कोई,
मयस्सर हो जहां सब कुछ सुकूं से ज़िन्दा रहने को,
न हो ग़ुरबत, न हो मजलूम,जहां मुफ़लिस न हो कोई,
जहां दिल सबसे मिलता हो, किसी से न अदावत हो,
जहां इक फूल हो हर हाथ में, पत्थर न हो कोई,
जहाँ वो साथ हों मेरे , मैं हूँ जिनकी दुआओं में,
वफ़ा ऎसी निबाहें हम , निभा पाया न हो कोई,
जहां उन गेसुओं की छांव में, बीते उमर सारी,
जहां रौशन तारीक़ी है, जहां सुबहा न हो कोई,
तुम्हीं "संजीव" गफ़लत में किया करते हो ये बातें,
कोई अहमक, कोई मासूम, यूं नादाँ न हो कोई......
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