रंजो ग़म के हर तरफ़ है राक्षस ,
हर घड़ी -हर पल सिरफ़ संत्रास है ,
ज़िन्दगी राम का बनवास नहीं है ,
ज़िन्दगी सीता का लंकावास है ,
वक्ते-बद हंसता है , बैठ रावण सा ,
अच्छे समय के राम की बस आस है ,
उम्मीद के लक्ष्मण हैं धरती पर पड़े ,
ज़िन्दगी तनहा , बहुत उदास है ,
हौसले का वानर भी आया नहीं ,
मुंदरी दिलासे की उसीके पास है ,
पिछले जनम के पाप बन गए मंथरा ,
ये सब लगाई उसकी ही तो आग है ,
पर, असुरों से ये दुर्दिन जलाए जायेंगे ,
उम्मीद ने छोड़ी न अब तक साँस है ,
दस सर का ये बद वक्त माना है प्रबल ,
अच्छे समय का तीर इक पर्याप्त है ,
अच्छा समय भी ज़िन्दगी को ढूंढता है ,
उसके दिल में भी चुभी ये फाँस है ,
एक दिन होगा मिलन फ़िर से वही ,
वक्त का लगना अलग एक बात है ,
'संजीव' वक्त अच्छे बुरे की जंग में ,
जीतेगा वो जिस पर बड़ा विश्वास है ।
हौसले का वानर भी आया नही ,
जवाब देंहटाएंमुंदरी दिलासे की उसी के पास है .
हुज़ूर ! भाव तो बहुत अच्छे हैं, ज़रा काफियों का ध्यान रखेंगे
तो किसी भी तरह की त्रुटी की गुन्जायिश नही रहेगी...
आपका शहर तो अदब से भरपूर है...
मोहतरिमा डॉ मीना नक़वी जी हैं, जनाब मंसूर उस्मानी साहब हैं
कमाल के गज़लकार हैं , इस लिए आप कभी किसी से कम नही रह सकते
बस मेहनत करते रहिये.....
---मुफलिस---
अच्छी गजल. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंवर्तमान सच्चाइयों को व्यक्त करने के लिए पौराणिक संदर्भों के प्रयोग
जवाब देंहटाएंका आपका यह प्रयास सराहनीय है.
मुझे यक़ीन है आप बहुत अच्छी ग़ज़लें कहने जा रहे हैं,
मुफलिस जी की बात पर भी ध्यान दें.
आपके ब्लॉग पर आना हुवा............आकर लगा एक खूबसूरत ब्लॉग से परिचय हुवा
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लिखा है सब शेर बहुत पसंद आए
अच्छे बुरे की ज़ंग में जीतेगा वो
जवाब देंहटाएंजिस पर बड़ा विश्वास है .
बड़ी गंभीर बात कही अपने संजीव जी .
प्रिय बन्धु, आपकी रामचरितमानस के बिम्बों पर लिखी ग़ज़ल बहुत अच्छी बन पड़ी है ,मेरी हार्दिक बधाइयाँ स्वीकारिये /मेरे ब्लॉग पर आ कर इतनी सूक्ष्म दृष्टि से विश्लेषण करने के लिए कृतज्ञ हूँ /
जवाब देंहटाएंआपका डॉ.भूपेन्द्र
bandhu aapne to ramcharit mans ko hi gajal banaa diyaa ye kalaa aapne kahaan se sikhi wastw me aap dhanywaad ke paatr hai --------
जवाब देंहटाएंkirpyaa h