रविवार, 18 जनवरी 2009

आँख भी अब तो नम नहीं करता...........

आजकल हिचकियाँ नहीं आतीं ,
याद शायद कोई नहीं करता ,

वो भी अब हो गया सयाना है ,
वक़्त बरबाद वो नहीं करता ,

मैंने भी छोड़ दीं सब उम्मीदें ,
अब कोई भी भरम नहीं करता ,

वक्त भी हो गया ख़ुदा जैसा ,
दुश्मनी ये भी कम नहीं करता ,

मुझको क्या हो गया ख़ुदा जाने ,
अब किसी ग़म का ग़म नहीं करता ,

दुनियाँ ने कर दिया है पत्थर सा ,
आँख भी अब तो नम नहीं करता ,

मौत आना ही एक हल है यहाँ ,
रंज से कोई भी नहीं मरता ,

देख लो हमको हम भी ज़िंदा हैं ,
ग़म किसी को ख़तम नहीं करता ,

साँस पर साँस लिए जाता है ,
'संजीव' तू भी शरम नहीं करता ।

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्छा लिखा है क्या कहूं

    साँस पर साँस... .....
    गजब का है पर
    मौत से मिलने का इंतज़ार कोई नही करता...

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  2. Shelley ne kaha hai our sweetest songs are those which sing of sadest thoughts...........

    Par bhai zindagi Bhagwan ka anmol tohfa hai ...iske prati nakaratmak soch rakhna Prabhu ke prati Kritaghnata hai ....bas maqsad ki kami aisi soch ko janm de sakti hai....

    Be positive ....har thokar kuchh sikha kar jaati hai ....
    baki ....bhavuk ho kar sochu to bahut sundar likha hai

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  3. dekh lo humko hum v jinda hain gam kisi ko khatam nahi karta. .....
    bahut achchha likha hai aapne. har pankti gahra arth liye hai.

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  4. वो भी अब हो गया सयाना है ,
    वक़्त बरबाद वो नहीं करता ,

    सुन्दर भावो से युक्त मन को छूती रचना

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  5. dusara sher to gazab ka likha hai bhai aapne ....dhero badhai .....jari rahe ...



    arsh

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  6. वक्त हो गया है खुदा जैसा...बहुत खूब

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