मैं जो तनहा हूँ इधर, वो भी अकेले होंगे,
ये अलग बात हसीं यादों के मेले होंगे,
आज की रात मेरी बांहों में गुज़र जाने दो,
कल से फिर सारे वही दुनियावी झमेले होंगे,
चाहने वाले तुम्हें यूं तो बहुत सारे है,
तुमपे मिट जाए जो, हम शख्स वो पहले होंगे,
माना "संजीव" की फ़ितरत है बड़ी सादी सी,
ख्व़ाब पर उसके बड़े रंगीं, रुपहले होंगे.....
ये अलग बात हसीं यादों के मेले होंगे,
आज की रात मेरी बांहों में गुज़र जाने दो,
कल से फिर सारे वही दुनियावी झमेले होंगे,
चाहने वाले तुम्हें यूं तो बहुत सारे है,
तुमपे मिट जाए जो, हम शख्स वो पहले होंगे,
माना "संजीव" की फ़ितरत है बड़ी सादी सी,
ख्व़ाब पर उसके बड़े रंगीं, रुपहले होंगे.....
बहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... दुनिया के झमेले तो झेलने ही हैं ..
जवाब देंहटाएंलाजवाब गज़ल .. दशहरा की मंगल कामनाएं ...