तुम्हें सौ साल तक बोलूं मुबारकबाद इस दिन की,
न ऐसा दिन कभी आये के ना हो याद इस दिन की।
रहे सौ साल तक रौशन तुम्हीं से घर हमारा ये,
यूं ही खिलता-दमकता सा रहे मुखड़ा तुम्हारा ये,
तुम्हारे साथ हों सुबहें, तुम्हारे साथ हों शामें,
तुम्हारे साथ में बीते हरेक दिन-रात जीवन की।
न ऐसा दिन कभी आये के ना हो याद इस दिन की।
कमी कुछ न कहीं भी हो, मिटे खुशियों से हर दूरी,
न हसरत कुछ रहे, हों सब तुम्हारी ख्वाहिशें पूरी,
छलकता हो हृदय सुख से, मिले समृद्धि हर तुमको,
हों पूरे सब तुम्हारे स्वप्न, और हर कामना मन की।
न ऐसा दिन कभी आये के ना हो याद इस दिन की।
तुम्हें सौ साल तक बोलूं मुबारकबाद इस दिन की,
न ऐसा दिन कभी आये के ना हो याद इस दिन की।