कभी ऐसी दीवाली आये...
कभी ऐसी दीवाली आये...
बाहर मिटें अँधेरे,भीतर भी उजियारा छाये,
कभी ऐसी दीवाली आये........
कहीं अभाव या निर्धनता का लेश रहे ना बाक़ी,
सबकी प्यासी कामनाओं को, हाज़िर हो इक साक़ी,
न कहीं किसी मुफ़लिस की बेटी, बिन ब्याही रह जाये ,
कभी ऐसी दीवाली आये......
मेरे देश से दुर्योधन और दु:शासन मिट जायें,
कभी-कहीं-कोई बालाएं न जबरन नोची जायें,
बेटी हो पैदा तो न फ़िर बाप का दिल घबराये,
कभी ऎसी दीवाली आये....
मैं भी रहूँ प्रसन्न , पड़ोसी भी आनन्द मनाये,
हर कोई अपनी मेहनत का समुचित प्रतिफल पाये,
घर तेरे होकर माँ लक्ष्मी, “संजीव” के घर भी आये,
कभी ऎसी दीवाली आये........................संजीव मिश्रा