शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008

ज़िन्दगी है प्याला ..............भाग ३

प्याले बनाए बिन - गिन ,
मय नाप कर बनायी ,
कहीं इतनी , कि छलक जाए ,
कहीं गंध भी न आयी ,

भरे ज़्यादतरमें आंसू ,
कुछ में ही है शराब ।



प्याला न तोड़ सकते ,
उम्मीद अभी बाक़ी है ,
इक दिन तो पिलाएगा वो ,
आख़िर को वो साकी है ,

प्याला दिया तो उसका -
है फ़र्ज़ , दे शराब ।


पर हो भरा या खाली ,
प्याला तो टूटना है ,
साकी को एक दिन तो ,
सब से ही रूठना है ,

उस दिन न कुछ बचेगा ,
ना प्याला ना शराब ।


तरसा हूँ मैं इतना , के
अब प्यास खो गयी है ,
यूँ ही तड़पने की अब
आदत सी हो गयी है ,

सब लगता है मुझको झूठा ,
क्या प्याला क्या शराब ।


ज़िन्दगी है प्याला ,
तक़दीर है शराब ,
जिसे जितनी मिल गयी , वो
उतना ही क़ामयाब ।


रविवार, 30 नवंबर 2008

जिंदगी है प्याला ......भाग २


प्याला न ख़राब कोई
न कोई भला प्याला ,
इक खेल खेलता है ,
सबसे पिलाने वाला ,

इक में लबालब , इक में
इक बूँद न शराब ।


जिसे जितनी मिल गयी वो ..........

कोई है नशे में सोता ,
कोई जागता है भूखा ,
कहीं मखमली हैं बिस्तर ,
कहीं कौर भी न रूखा ,

क्यों प्याला दे दिया , जब
देनी न थी शराब ।

जिसे जितनी मिल गयी वो ..........

हम भी तरस रहे हैं ,
पाने को चंद बूँदें ,
हम मांगकर थके , वो
बैठा है कान मूंदे ,

शायद हमारा प्याला
ना - काबिले शराब ।

ज़िन्दगी है प्याला
तकदीर है शराब
जिसे जितनी मिल गयी
वो उतना ही कामयाब

सोमवार, 17 नवंबर 2008

उदासी की हवेली है........ भाग १

ज़िन्दगी पहेली है ,
ग़म की इक सहेली है ,

महफ़िलों ने ठुकराया ,
तनहाईओं में खेली है ,

मायूसियों की नीवों पर ,
उदासी की हवेली है ,

चहलो – पहल के जमघट में ,
ज़िन्दगी अकेली है .

शनिवार, 15 नवंबर 2008

जिंदगी है प्याला ........ भाग १

जिंदगी है प्याला ,
तकदीर है शराब ,
जिसे जितनी मिल गयी , वो
उतना ही कामयाब ।


जिसका भरा है प्याला ,
बस वो ही है निराला ,
उसने भुलाया सबसे ,
पहले पिलाने वाला ,



वो समझा मैंने प्याले ,
में ख़ुद भरी शराब ।
ज़िन्दगी है प्याला........ ।

जिसका है प्याला खाली ,
दर - दर का वो सवाली ,
उस खाली पर भरा हर -
प्याला बजाता ताली ,


कहते ख़राब प्याला ,
नापे बिना शराब। ज़िन्दगी है प्याला........ ।

शनिवार, 8 नवंबर 2008

तुझसे बिछड़ने की घड़ी जब आएगी ........

तुझसे बिछड़ने की घड़ी जब आएगी ,
जान कैसे जिस्म में रह पायेगी ,
हर पल यही सदा क़त्ल मुझको करे,
तू जायेगी, तू जायेगी, तू जायेगी ।

तू चली जायेगी मैं रह जाऊँगा ,
गम भला कैसे ये मैं सह पाउँगा ,
रास्तों तुम कितने खुश नसीब हो ,
मैं कहाँ उन क़दमों को चूम पाउँगा ,

ख्वाब में ही दीद अब होगा तेरा ,
तू कहाँ हद्दे नज़र में आएगी ।

तेरे बगैर साँस गर चलती रही ,
ज़िन्दगी उसको न मैं कह पाउँगा ,
पहलू मैं तेरे ,आज मर जाऊं मगर ,
तेरे बिना ज़िंदा नहीं रह पाऊंगा ,

जाना तेरा देखूंगा इन आंखों से मैं ,
किस्मत मेरी अब और क्या दिखलाएगी ।

हरपल यही सदा क़त्ल मुझको करे ,
तू जायेगी , तू जायेगी , तू जायेगी ।


सदा = आवाज़