दुआएं भी तुम्हारे जन्म दिन पर, दे नहीं पाया,
हजारों साल तुम जीओ, मैं कह तुमसे, नहीं पाया,
ये मुझ पर एक हैरत, और शरम का, एक मुद्दा है,
के कैसे ये मुक़द्दस दिन, ज़हन में रह नहीं पाया,
क़यामत तक़ सलामत तुम रहो , मैं आज कहता हूँ,
मेरे हमदम, वो कहने दो , जो उस दिन कह नहीं पाया,
तुम्हारे ही तबस्सुम से, जहां रौशन रहे यूं ही,
रहें वो दूर तुमसे, जो बलाएँ ले नहीं पाया,
ख़ुदा तक़दीर लिक्खे फ़िर, तुम्हारी पूछ कर तुमसे,
न अरमां कुछ रहे ऐसा, जो पूरा हो नहीं पाया,
फ़रिश्ता जल्द आये वो, हो तुम तक़दीर में जिसकी,
मैं तो इस जन्म में, ये ख़ुशनसीबी ला नहीं पाया,
तुम्हारी अर्चना-पूजा में, मन, मंदिर हुआ पावन,
तेरे “संजीव” सा ये बह कभी, या ढह नहीं पाया....
हजारों साल तुम जीओ, मैं कह तुमसे, नहीं पाया,
ये मुझ पर एक हैरत, और शरम का, एक मुद्दा है,
के कैसे ये मुक़द्दस दिन, ज़हन में रह नहीं पाया,
क़यामत तक़ सलामत तुम रहो , मैं आज कहता हूँ,
मेरे हमदम, वो कहने दो , जो उस दिन कह नहीं पाया,
तुम्हारे ही तबस्सुम से, जहां रौशन रहे यूं ही,
रहें वो दूर तुमसे, जो बलाएँ ले नहीं पाया,
ख़ुदा तक़दीर लिक्खे फ़िर, तुम्हारी पूछ कर तुमसे,
न अरमां कुछ रहे ऐसा, जो पूरा हो नहीं पाया,
फ़रिश्ता जल्द आये वो, हो तुम तक़दीर में जिसकी,
मैं तो इस जन्म में, ये ख़ुशनसीबी ला नहीं पाया,
तुम्हारी अर्चना-पूजा में, मन, मंदिर हुआ पावन,
तेरे “संजीव” सा ये बह कभी, या ढह नहीं पाया....
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