गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014

ज़माना ना आया.....



अभी तुमको दिल का, लगाना न आया,
सलीक़े से दिल को, चुराना न आया,

मिलाकर अभी आँखें,  तुम बात करते,
के नज़रें हया से,  झुकाना न आया,

हो तुम तैश में, हमको तेवर दिखाते,
के अन्दाज़ ख़ालिस, ज़नाना न आया,

के सीखोगे, धीरे ही धीरे ये बातें,
अभी हाल दिल का, जताना ना आया,

मैं बांहों में भर, चूम लूं लब तुम्हारे,
वो माहौल तुमको, बनाना न आया,

ये नाज़ुक बदन, और ये ज़ुल्फ़ें घनेरी,
कहूं कैसे अपनी, बहाना न आया,

के नाचोगे बिन घुँघरू, छम-छम, छमक-छम,
ज़ुबां पर अभी बस, तराना ना आया,

के संजीवनाक़ामे उल्फ़त रहें वो,
क़सम से अभी तो, ज़माना ना आया............संजीव मिश्रा

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