मंगलवार, 28 अक्तूबर 2008

मुश्किलाते-हज़ार हो गया हूँ मैं ,

ख़ुद अपने आप से ,बेजार हो गया हूँ मैं,

इससे बढ़कर सज़ा क्या दूँ ख़ुद को,

जीने को तैयार हो गया हूँ मैं.
 
....संजीव मिश्रा 

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