मंगलवार, 28 अक्तूबर 2008

आह लगती है

कभी हंसता हूँ तो वो हँसी भी , इक आह लगती है,

खुशी की चाहत भी मुझको , इक गुनाह लगती है ,

जिसकी मंजिल हो सिर्फ़ नाकामी ,

जिंदगी मेरी मुझे ऐसी राह लगतीहै।

5 टिप्‍पणियां:

  1. स्वागत है चिट्ठाजगत में। यूं ही लिखते रहें,

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  2. सुंदर अद्भुत आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है
    मेरे ब्लॉग पर पधारें
    sperinog

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  3. kyo udas ho jo koyal is bar na kuki bagiya me,gujar gya ye mosam to kya baki abhi madhumas bahut hai

    narayan narayan

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  4. जिसकी मंजिल हो सिर्फ़ नाकामी ,

    जिंदगी मेरी मुझे ऐसी राह लगतीहै।

    आरम्भ से ही नाकामी की बातें अच्छी नही लगतीं. शुभकामनाएं और स्वागत मेरे ब्लॉग पर भी.

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  5. जिसकी मंजिल हो सिर्फ़ नाकामी ,

    जिंदगी मेरी मुझे ऐसी राह लगतीहै।

    Be positive .

    Welcome
    also see
    www.chitrasansar.blogspot.com

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