किस से कहूं मन की व्यथा,
दास्ताँ ग़मों की, दर्द की कथा।
हँसती है मुझ पर
यूँ जिंदगी मेरी,
जैसे कुरूप पर , कोई परी,
कैसे जियें हम,कोई दे बता।
साथ हर कदम पे,
है दुःख दर्द ग़म,
न मंज़िल कोई जिसकी ,
वो राह हम,
हमेशा ही किस्मत ने दी है दगा।
फूंकूं जहाँ को, या खुद को जला दूं ,
ये सारी खुदाई अतल में मिला दूं
क्यूं दुश्मन हमारा बना है खुदा।
vah bahuth acha hei!
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