शनिवार, 13 जून 2020

रब दिख गया है........

रब दिख गया है........

ये तिरछी निगाहें, ये भौंहें कटीली,
अधर ये रसीले, नसीका नुकीली ,

ये गहरा सा काजल, ये गेसू के बादल,
ये तीखे से तेवर, जवानी के जेवर,
तुम्हें देखकर कोई, क्या बोल पाये,
जुबां हुस्न पर तेरे, क्या खोल पाये,

बस इतना कहेंगे, के कुछ न कहेंगे,
तुम्हें देखकर सिर्फ, चुप ही रहेंगे,

ये काला सा तिल इक, ग़ज़ब ढा रहा है,
तुम्हें देख कर दिल सुकूं पा रहा है,

ये इक बाद मुद्दत, के कुछ, कह है पाई,
ये तस्वीर तेरी, क़लम को है भायी,

तेरे क़दमों में  आज सर झुक गया है,
के “संजीव “ को आज रब दिख गया है ............संजीव मिश्रा

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