शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

मचा क्यों बवाल है............

अब क्या कहें और क्या सुनें बस ये सवाल है,
बिन   तेरे   जी लिए   हम, इसका मलाल है ,

इजहारे-इश्क़   मेरा,       साबित हुआ हराम,
छुप-छुप  के मिलना ग़ैर से उनका, हलाल है,

काशी    की   तरफ    पीठ  मेरी, है, हुआ करे,
अब    सामने   तेरा    मेरे   हुस्नो-जमाल है,

बिरहमन हूँ मैं  ,बुत पूजना मज़हब है ये मेरा ,
इक     तुझको पूजने पे मचा   क्यों बवाल है,

"संजीव"  मुफ़लिस  ज़र से है,जज़्बात से नहीं,
दिल  इश्क़    की तौफीक़  से ये  मालामाल है,

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