शनिवार, 17 जुलाई 2010

जिंदगी है प्याला

जिंदगी है प्याला ,तक़दीर है शराब ,
जिसे जितनी मिल गयी , वो उतना ही कामयाब ।


 
जिसका भरा है प्याला ,इक वो ही है निराला ,
उसने भुलाया सबसे ,पहले पिलाने वाला ,
वो समझा मैंने प्याले , में ख़ुद भरी शराब । जिसे जितनी मिल गयी वो ......।

 
जिसका है प्याला ख़ाली ,दर - दर का वो सवाली ,
उस ख़ाली पर भरा हर , प्याला बजाता ताली ,
कहते ख़राब प्याला , नापे बिना शराब । जिसे जितनी मिल गयी वो ......।

 
प्याला न ख़राब कोई, न कोई भला प्याला ,
इक खेल खेलता है ,सबसे पिलाने वाला ,
इक में लबालब, इक में इक बूँद न शराब । जिसे जितनी मिल गयी वो ......।

 
कोई है नशे में सोता ,कोई जागता है भूखा ,
कहीं मखमली हैं बिस्तर ,कहीं कौर भी न रूखा ,
क्यों प्याला दे दिया जब, देनी न थी शराब। जिसे जितनी मिल गयी वो ......।


हम भी तरस रहे हैं ,पाने को चंद बूँदें ,
हम मांगकर थके , वो बैठा है कान मूंदे ,
शायद हमारा प्याला ना - क़ाबिले शराब । जिसे जितनी मिल गयी वो ......।


प्याले बनाए बिन - गिन , मय नाप कर बनायी ,
कहीं इतनी , कि छलक जाए , कहीं गंध भी न आयी ,
भरे ज़्यादतर में आंसू , कुछ में ही है शराब । जिसे जितनी मिल गयी वो ......।


प्याला न तोड़ सकते , उम्मीद है कुछ बाक़ी ,
इक दिन तो पिलाएगा वो , आख़िर को है वो साकी ,
प्याला दिया तो उसका - है फ़र्ज़ , दे शराब ।जिसे जितनी मिल गयी वो ......।


पर हो भरा या ख़ाली , प्याला तो टूटना है ,
साकी को एक दिन तो , सब से ही रूठना है ,
उस दिन न कुछ बचेगा , ना प्याला ; ना शराब ।जिसे जितनी मिल गयी वो ......।


तरसा हूँ मैं इतना , के अब प्यास खो गयी है ,
यूँ ही तड़पने की अब आदत सी हो गयी है ,
सब लगता है मुझको झूठा, क्या प्याला क्या शराब।     जिसे जितनी मिल गयी वो ......।


 
ज़िन्दगी है प्याला , तक़दीर है शराब,
जिसे जितनी मिल गयी , वो उतना ही क़ामयाब ।



11 टिप्‍पणियां:

  1. Aapko slam kya likhtay hai aaqap man gay gggggggg

    RAHUL TRIPATHI 9305029350

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  2. gazal me hai aapki, sharaab hi sharaab,
    na likhte kuch hai banta, na kehne ko lab hai khulte
    agar hota na blogspot to, hum aapse na milte,
    dil me leke marne walon ka jeena bhi hai kharaab..
    to likha karen aap yun hi, den ji khol ke sharaab !!!

    Bahot pyara likha hai...
    Regards
    N

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  3. बहुत खूब - प्रशंसनीय प्रस्तुति

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  4. जिंदगी है प्याला
    तकदीर है शराब ...

    वाह !
    क्या बात कही है जनाब !!

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  5. आदरणीय संजीव मिश्र जी
    सस्नेहाभिवादन !

    भरा हो या खाली प्याला तो टूटना है
    बहुत दार्शनिक अंदाज़ में लिख डाली है आपने यह रचना …
    बधाई !

    लेकिन , अब तो नया लिखिए हुज़ूर कुछ ! बहुत समय हो गया पोस्ट बदले हुए … :)

    मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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