शुक्रवार, 9 जनवरी 2009

जो आँख में है मेरी वो अश्क ख़ास है.....

होकर अलग तुमसे हुए सबसे अमीर हम ,
सारे जहाँ का दर्द हमारे ही पास है ।


दुनियाँ में चश्मे-नम की कोई कमी नही ,
जो आँख में है मेरी वो अश्क ख़ास है ।

इंसान है वालिद सा , दोशीज़ा ज़िन्दगी है ,
नसीब के नौशे की सबको तलाश है ।

ऐ ज़िन्दगी आ हंस लें एक-दूजे पे ही हम दोनों ,
माहौल अब बदल कुछ तू क्यों उदास है ।

हासिल नहीं होना है कुछ आसमां से तुझको ,
वो बना नहीं सितारा तुझे जिसकी आस है ।

'संजीव' पिए बैठे हम नाक़ामी के ज़हर को ,
जानें न होश क्या है और क्या हवास है ।

तक़दीर ने हमें कुछ ज़्यादा न दिया इससे ,
बस पेट में है रोटी और तन पर लिबास है ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. "सरमाया जिंदगी का तुम्ही ने अता किया ,
    है अब किसी के पास, जो ग़म मेरे पास है"

    हुज़ूर ! आपने दिल के अश`आर दिल से ही लिखे हैं
    और सब...दिलों तक ही पहुँच रहा है .
    मुबारकबाद कुबूल फरमाएं !!
    ---मुफलिस---

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  2. तक़दीर ने हमें कुछ ज़्यादा न दिया इससे ,
    बस पेट में है रोटी और तन पर लिबास है ।

    वाह सब कह भी दिया, कुछ छुपा भी लिए| इसे कहते हैं शेर|

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  3. बहुत ही अच्छा लिखा है सारे के सारे शेर बहुत ही बढ़िया हैं....
    आपको पहली बार पढा और बहुत ही अच्छा लगा..

    अक्षय-मन

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  4. likhne kaa andaj achaa hai lekin jindgi se nirasha achhi nahi janab ab aapse ek achhi si sakaratmak abhivyakti ki apeksha rahegi aapki kalam me kuch hai jise agar ujale ki are le jaayenge to aap dekhna ek naye utsaah ka sanchar hoga bahut badiya rachna hai bdhai

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