शनिवार, 8 नवंबर 2008

तुझसे बिछड़ने की घड़ी जब आएगी ........

तुझसे बिछड़ने की घड़ी जब आएगी ,
जान कैसे जिस्म में रह पायेगी ,
हर पल यही सदा क़त्ल मुझको करे,
तू जायेगी, तू जायेगी, तू जायेगी ।

तू चली जायेगी मैं रह जाऊँगा ,
गम भला कैसे ये मैं सह पाउँगा ,
रास्तों तुम कितने खुश नसीब हो ,
मैं कहाँ उन क़दमों को चूम पाउँगा ,

ख्वाब में ही दीद अब होगा तेरा ,
तू कहाँ हद्दे नज़र में आएगी ।

तेरे बगैर साँस गर चलती रही ,
ज़िन्दगी उसको न मैं कह पाउँगा ,
पहलू मैं तेरे ,आज मर जाऊं मगर ,
तेरे बिना ज़िंदा नहीं रह पाऊंगा ,

जाना तेरा देखूंगा इन आंखों से मैं ,
किस्मत मेरी अब और क्या दिखलाएगी ।

हरपल यही सदा क़त्ल मुझको करे ,
तू जायेगी , तू जायेगी , तू जायेगी ।


सदा = आवाज़

1 टिप्पणी:

  1. ख्वाब में ही दीद अब होगा तेरा ,
    तू कहाँ हद्दे नज़र में आएगी ।

    gazab ki thinking.umda lekhan ka parichay hai ye jaari rahe...

    word verification hatale to behatar hoga ........

    bahot sadhuwad............

    जवाब देंहटाएं